Friday, June 24, 2011

तेरी आँखों में हमे जाने क्या नज़र आया! तेरी यादों का दिल पर सरुर है छाया! अब हमने चाँद को देखना छोड़ दिया! और तेरी तस्वीर को दिल में छुपा लिया!


1 comment:

  1. अगर तुम न होते तो ग़ज़ल कौन कहता!
    तुम्हारे चहरे को कमल कौन कहता!
    यह तो करिश्मा है मोहब्बत का!
    वरना पत्थर को ताज महल कौन कहता!

    Anirudh

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